सूर्य के प्रकाश में तू है खड़ा निराश कयूऊं ,
दूसरों की आस में तू है खड़ा हताश कयूऊं ,
लोग तो कुछ भी कहेंगे तोड़ता विस्वास कयूऊं ,
चल वीर भोग्यम वसुन्धरा को सिद्ध कर के दिखला
दे ,
खाली हाथों से ऊसर बंज़र को हरा कर के दिखला
दे ,
दिखला दे की अकेला चना भी भाड़ फोड़ सकता है ,
अपनी पे आ जाये तो तिनका भी नदिया की धार मोड़
सकता है ,
खोद सकता है तू जमीं को नाखूनों से पाताल तक
,
तीसरा नेत्र खोल देख सूछ्म से विशाल तक ,
हरीभरी दूब की जगह गुलाब काम नहीं आता ,
बच्चे भूखे हों तो शबाब काम नहीं आता ,
अपने भीतर झाँक बाहर करता तलाश कयूऊं ,
सूर्य के प्रकाश में तू है खड़ा निराश कयूऊं !
अगस्त्य नारायण शुक्ल
Shukla Ji Tusi Great Ho.......Aap jaise innovators ki jid se to ye INNOVATION movement aaj Jinda hai warna Deeth Saudagron aur unke chamchon ne NASH karne mein koi Kasarnahi utha rakhi hai.
ReplyDeletemane aaj kament dekhaa , karte rahaa karo yaar - ham googal ko aam aadmi party bana denge !
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