Sunday, October 13, 2019

कहबे तो लग जाइ धक से ...

कहबे तो लग जाइ धप से ,

बड़े बड़े लोगन के महला दूमहला ,
ओउर भइया नीचे पार्किंग अलग से ,

बड़े बड़े लोगन के मोटर ओ गाड़ी ,
ओउर भइया अंदर टी वी अलग से ,

बड़े बड़े लोगन के नोकर ओ चाकर ,
ओउर भइया सर्वेंट क्वाटर अलग से ,

बड़े बड़े लोगन के जूता ओ सेंडल ,
ओउर भइया ओहपे रोज पालिस अलग से ,

बड़े बड़े लोगन के गहना ओ जेवर ,
ओउर भइया ओहमा हीरा अलग से ,

बड़े बड़े लोगन के आफिस ओ दफ्तर ,
ओउर भइया ओहमा कम्प्यूटर अलग से ,

बड़े बड़े लोगन बाथरूम ओ टॉयलेट ,
ओउर भइया ओहमा भाप वाला कमरा अलग से ,

बड़े बड़े लोगन के बैंक म अकाउंट ,
ओउर भइया ओहमा लाकर अलग से ,

 बड़े बड़े लोगन के बड़ी बड़ी बतिया ,

ओउर भइया गॉसिप अलग से ,

कहबे तो लग जाइ धप से ....

  अनुभवि अज्ञानी ....

Thursday, April 11, 2019

रेत की नाव , झाग के मांझी ...


रेत की नाव, झाग के मांझी

काठ की रेल, सीप के हाथी

हल्की—भारी प्लास्टिक की कलें

मोम के चाक जो रुके न चलें

राख के खेत, धूल के खलिहान

भाप के पैरहन, धुएं के मकान

नहर जादू की, पुल दुआओं के

झुनझुने चंद योजनाओं के

सूत के चेले, मूंज के उस्ताद

तेश दफ्ती के, काच के फरिहाद

आलिम आटे के, और रवे के इमाम

और पन्नी के शायराने—कराम

ऊन के तीर, रुई की शमशीर

सदर मिट्टी का और रबर के वजीर

अपने सारे खिलौने साथ लिए

दस्ते—खाली में कायनात लिए

दो सुतूनों में बौध के रस्सी

हम खुद न जाने कब से चलते हैं

न तो गिरते हैं न सम्हलते हैं
न तो गिरते हैं न सम्हलते हैं

*ओशो*