Sunday, August 6, 2017

अपने को देखा ? Saw your self ?


खुदी को खोद कर तू अपने भीतर समा जा इतना ,
कि ख़ुदा भी खोजे तो सोचे कि बन्दा भीतर गया कितना ,
आकाश की तरह तू सबके लिए समान है,
तू पेड़ पौधे हवा पानी बस्ती और शमशान है,
तुझमें समाये हैं वो रेशे जब से ये ग्रह बना है,
तू ही तो है जो कि मैं हूँ बस बीच कोहरा घना है,

अनुभवि अज्ञानी